वो एक रात
तभी एक लड़की सामने से हंसती हुई आ रही थी! अचानक सामने आई और बोली पहचाना मुझे थोड़ी देर स्तब्द रहकर देखता रहा, और बोला तुम कांदम्बरी हो ना, उसने कहा इतनी देर लगा दी पहचान ने मैं! फिर उसने मुझे पुछा.. तुम इस वक्त यहां अकेले मरीन ड्राइव पर घूम रहे हो .. कोई साथ था क्या तुम्हारे वो हंस कर बोली.. नहीं मैं यहां आॉफीस की पार्टी के लिए मारिन प्लाझा आया था हर कोई अपने पार्टनर के साथ तो कोई अपने परिवार के साथ आए थे! पार्टनर के साथ कपल डांस कर रहे थे! मैं डिनर कर के मैं वहां से निकला.. सोचा यहां टहलते टहलते घर जाऊंगा, और तुम इतनी रात यहां कैसे? मैं यहां चंदनवाड़ी में आयी हूं..वहां तो समशान है! तुम्हें डर नहीं लगता.. उसमें डर ने वाली कोन सी बात है! आज न कल हम सबको आख़री सफर करना है! जिवन का अंतिम सत्य यही है मौत! हम भी किस बारे में बात कर रहे हैं! कितना अच्छा मौसम है! क़यो ना थोड़ी देर यहां बैठकर गपशप लड़ाते है! तुम्हें कहीं देरी तो नहीं हो रही हैं घर जाने की उसने कहा! मुझे कोई जल्दी नहीं है! और हम दोनों समुद्र तट पर बैठ गए! समुद्र को देख कर उसने कहां ये समुदर में कितनी गहराई है! फिर भी उपर से कितना शांत लग रहा है! बिल्कुल मेरी तरहां मैं सोच में पड गया.. ऐसा क्या हुआ है! मैंने पुछा?.. कुछ नहीं.. छोड़ो कुछ अलग बात करते हैं! फिर उसने मुझे पुछा तुमने अभी तक शादी क्यु नहीं कि?.. तुम नहीं मिली ना.. मैंने हंस कर उसे जवाब दिया
मजाक मत कर तुषार.. तुम हंस कर बात को टाल रहे हो, नहीं सच कह रहा हूं.. तुम्हें पता है ना मैं तुम्हें कितना प्यार करता था! मैं काॅलेज में पढ़ रहा था! ओर तुम दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी! तभी मैंने तुम्हें प्रपोज किया था! तुम्हे याद है वो
राधा कृष्ण का मंदिर जहा तुम अक्सर जाया करती थी, वहीं पे तुम्हे मैंने प्रपोज किया था! पर उस वक्त कुछ भी न कहते वहां से निकल गयी थी! शायद तुम्हें बुरा लगा हो! तुषार सच कहूं तो मैं भी तुम्हें पसंद करती थी! तुम्हें मन ही मन चाहने लगी थी! तुमसे प्यार करने लगी थी, लेकिन मेरी भी कुछ मजबुरीया थी..चाहकर भी तुम्हें प्यार का इजहार नहीं कर सकी.. तुम्हें तो पता था ना हमारी घर की हालत.. बचपन में ही हमारे पिताजी गुजर गए थे! हम तिन बहनें एक छोटा भाई..कितने परीक्षम से हमें मां ने हमको पढ़ाया-लिखाया था! इस काबिल बनाया था कि हम अपने पैरों पर खड़े हो सकें, उस समय मैं तुम्हें प्यार का इजहार करती और उनको पता चलता तो उनको कितना दुःख होता! बड़े बहन की शादी भी तो करनी थी! उस वक्त में ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती जिसे उन्हें दूख पहूचे, खुद को संभलना उचित समझा, यह सब बातें तुम्हें बताना चाहती थी, लेकिन उसके बाद तुम दिखाई नहीं दिए,! मैं पूना चला गया था! चाचा के यहां.. वहीं पूना में एजुकेशन कंप्लीट की , जब मैं मुंबई में आया तब पता चला तुम्हारी शादी हो चुकी है! में अंदर से पुरी तरह से तूट चुका था! तुम्हें भूलने की बहोत कोशिश की पर तुम्हें भुला नहीं सका..
तुषार तुम्हें धुडने की मैंने भी बहोत कोशिश की, एक दिन तुम्हारा दोस्त विशाल से पुछा, तभी मालूम पड़ा कि तुम पुना गये हो, मैं बेबस थी..उसी दरम्यान मेरे बड़े बहन की शादी तय हूई,हम सब खुश थे! उसी शादी में एक परीवार ने मुझे देखा ओर मेरी मां के सामने मेरे शादी का प्रस्ताव रखा..लड़का रेलवे में था! अच्छी खासी नौकरी थी! मां ने लड़के को देख कर तुरंत शादी के लिए हामी भर दी! मां ने देखा लड़के कि अच्छी-खासी नोकरी है! मेरी लड़की वहां खूश रहेगी.. मेरे सामने यह सबकुछ हो रहा था, मैं ख़ामोश थी! मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था! और मेरी शादी तय हुई! मां के चेहरे पर इतनी खुशी थी उस दिन, मेरे एक बेटी की शादी हो रही है! और दूसरे बेटी कि शादी तय हो रही थी! बहोत सालों बाद उसके चेहरे पर इतनी खुशी देखी थी मैंने, तो मैं 'ना' भी नहीं कर सकती, मां के सर से बेटी के शादी का बोझ हल्का होने वाला था! मैं ने शादी के लिए अपनी संमती दर्शाई ..शादी के कुछ दिनों में पता चला उन्हें शराब पीने की लत लगी है! काम से लौटते वक्त राजेश हमेशा शराब पीकर ही घर वापस आते थे! मैंने इस बारे में मां को कुछ नहीं बताया..उसे में और दुःख नहीं देना चाहति थी! किस कमोॆॏ का फल मुझे मिल रहा था! उनकी शराब की लत और बढ़ गई थी! उसी दौरान मैंने बच्चे को जन्म दिया! बेटा होने से राजेश भी बहोत खूश था!, तभी एक दिन उन्हें खून की उल्टियां होने लगी, जैसे अचानक ज़िन्दगी ने करवट ली हो.. डॉ- क्टर ने कहा वो कुछ ही दिनों के मेहमान है! उन्हें अपने गलतीयो का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी! और वो ्कुछ ही दिनों में चल बसे.. उसके कुछ दिनों बाद मां मेरे पास आई और बोली मुझसे भूल हुई बेटी मुझे तुम्हारी शादी करने से पहले देखना चाहिए था लड़का कैसा है, उसे कोई बुरी आदत तो नहीं.. बेटी मुझे माफ़ कर दो.. मां इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं, कोई भी मां अपने बच्चों का कभी बुरा नहीं चाहती..और तुम्हने हमारे लिए जो किया है, उतना कोई भी अपने बच्चों के लिए नहीं करता.. अभी तो मैं मेरे बच्चे के साथ बहुत खुश हूं! अब यही मेरा जीवन है! उसे पढ़ाकर अच्छा इन्सान बनाउंगी.. हमें जो बचपन में नहीं मिला वो सब कुछ मेरे बच्चे यश को देना चाहती हूं! अब मेरा बच्चा यश हि अब मेरे जिन्हें की उम्मीद बन गई हैं! कुछ दिनों में उनके जगह मुझे रेलवे में नैकरी मिली..
मुझे ये सुनकर बहोत दुःख हुआ, इतना सबकुछ तुम्हारे जिवन में हुआ फिर भी ईतनी शांत हो! ईस समुदर कि तरह वो हस कर बोली. इसी का नाम जिंदगी है! हम तो कठपुतलियां है हमारे जीवन की डोर कीसी और के हाथ में है!और हमें नचा रहा है!
तुम्हें याद है तुषार हम दादर रेल्वे स्टेशन पर मिले थे, ऑफिस से में घर जा रही थी, और तुम १ नंबर प्लेटफार्म पर मिले थे! हम एक-दूसरे को देखते रह गए! ट्रैने आती जाती रहीं, औ र हम एक-दूसरे को बस देखते रह गए! एक दूसरे से क्या बात करे समझ में नहीं आ रहा था! बहोत सालों के बाद हम एक-दूसरे को देख रहे थे! हम दोनों एक दूसरे में इतने खो गए थे! खाली हाय हॅलो किया और वहां से निकल गये! तुम्हें नहीं पता लेकिन दुसरे दिन में वही प्लेटफार्म पर उसी समय मैं खड़ा रहा शायद तुमसे फिर से मुलाकात हो, पुरे सप्ताह मे वहां तुम्हारा इंतज़ार करता रहा लेकिन उसके बाद तुम कभी दिखाई नहीं दी! मैंने उसे कहा! कैसे मिलती में तुम्हें काम से हर शाम ४:३० बजे निकलती हूं घर जाने के लिए उस दिन मुझे कुछ खरीदारी करनी थी इसलिए दादर स्टेशन उतरी थी! सामान खरीद कर घर वापस जाने के लिए दादर स्टेशन पे खड़ी थी तभी अचानक तुमसे मुलाकात हुई!
दुसरी बार मैंने तुम्हें मां के साथ देखा था! नवरात्र का उत्सव चल रहा था, तुम और तुम्हारी बहनें महालक्ष्मी मंदिर जा रही थी! हाथ में पूजा की थाली थी! मुझे भी याद है मैंने भी तुम्हें देखा था! तुम उस वक्त बस स्टॉप पर खड़े थे!
उसके बाद कुछ महीनों के बाद तुम्हें देखा, तुम्हारी तबियत नासाज लग रही थी! बहुत कमजोर लग रही थी! जैसे कि तुम्हें बड़ी बिमारियों ने तुम्हें घेर लिया हो! तुम अपने बेटे यश के साथ जा रही थी तभी तुम्हारी तबियत जानने के लिए तुम्हारे पास आया था लेकिन तभी तुम बिना कुछ कहे टॅक्सी पकड़कर वहां से निकल पड़ी!
उस दिन के बाद आज तुम दिखाई दे रही हो! नासाज तबियत का तुम्हारा चेहरा सामने आता था! और अभी देखा तो तंदुरुस्त नजर आ रही हो! इसलिए तुम्हें पहचान ने में थोड़ी देर लगा दि
तुम्हसे बात करके बहुत अच्छा लगा! दिल का बोझ हल्का हुआ, अब मैं किसी बोझ लेके नहीं मरना चाहती, अच्छा हुआ तुम से मुलाकात हुई! इस के बाद शायद ही तुमसे मुलाकात हो! उसने कहा!
बहोत देर हो चुकी है घर नहीं जाना तुम्हें, मैंने उसे कहा में तुम्हें घर छोड़ देता हूं, उसेने कहा! मेरी फ्रिक मत करो तुम जाओ मैं आती हूं...तुम्हारा बेटा यश तुम्हारी राह देख रहा होगा, अब मुझे उसकी चिंता नहीं है! मेरी मां उसकी अच्छी तरह से खयाल रखती है! जैसे हमारा ख्याल रखा था! इसलिए आराम से घूम फिर रही हूं! तुम ऐसी बातें कर रही हो जो मेरे समझ से बाहर है! बिदा होते वक़्त उसकी आंखें नम हो गई थी! एक-दूसरे को बाय करते वहां से निकल पड़े..घर लौटते वक्त उसी के बारे मै सोचता रहा! एक पहेली सी लग रही थी! कभी न सुलझने वाली.
दुसरे दिन सुबह मैं काम के लिए जाने लगा तो रास्ते में दोस्त मिला, विशाल जो कांदमबरी की मां रहती उसी बिल्डिंग में वो रहता था! उसने मुझे कहा, तुम्हें मालूम पड़ा क्या कांदमबरि की ब्लड कैंसर से मौत हुई, कल सुबह हम अंतसंकार के लिए गए थे। कैसि बातें कर रहे हो! कल रात को तो मिली थीं, तुम्हें कोई भ्रम हुआ होगा, मै समझ गया, स्तब्ध रहा! ख़ामोश रहा गया..
उसे जो बात मुझसे करनी थी वो बात मरने के बाद कह डाली!