अजनबी शहर
मां बिमला देवी तो कतई तैयार नहीं थी इतना दूर भेजने के लिए, पर उसने मां को समझाया कि, वहां जाकर अच्छा खासा कमाऊंगा, यहां कि परिस्थिती भी सुधर जाएगी! कुछ महिनों कि तो बात है! फिर मैं तुम्ह सबको वहां बुला लुंगा ! कैसेबैसे मां को समझाकर वो कानपुर जानें के लिए निकल पड़ा! मां ने भी दिल पर पत्थर रख कर आदित्य को हंसी खुशी उसे बिदा कर दिया! उस दिन बिमला देवी का रो रो कर बुरा हाल हुआ था! कभी मैं भी अपने मां से इतना दूर रहा नहीं था!
आदित्य का जिवन का नया सफर शुरू हुआ था! रेल कि पटरी की तरह उसकी जिंदगी की दौड़ शुरू हुई थी! यादें पिछे छोड़ रही थी! उसका मकसद जिंदगी में कुछ बनना था! कानपुर स्टेशन उतरा, नया शहर था,नये लोंग, सबकुछ नया था! वहां से taxi पकड़कर कंपनी के पत्ते पर पहुंच गया! वहा बड़ी Pharma कंपनी थी! वहां manager से मिला. Interview लिया ,कंपनी को भी fresher candidate की जरूरत थी! तो उन्होंने appointment letter देखकर काम पे रख दिया! आॅफिस काॅर्टस में रहने का इंतजाम कर दिया!बाजु में मेंस थी वहां दो टाईम के खाने का इंतजाम भी कंपनी ने किया, आदित्य बहुत ही खुश था! क्यों कि नये शहर में रहने, खाने का इंतजाम कैसा होगा उसकी चिंता पुरे प्रवास में उसे सता रही थी! जो कंपनी ने पुरी की थी! उसी रात उसने बहन मालती के मोबाइल पर फोन कर के अपने मां बाबूजी को जानकारी दी, मेरी फ़िक्र मत करना मैं ठीक हूं! कंपनी ने मेरे खाने रहने का अच्छा इंतजाम किया है! आप अपना ख्याल रखना!
दुसरे दिन वो काम पे गया! बहोत ही हंसमुख स्वभाव का आदित्य एक दुसरे स्टाफ से मिलकर अपना introduction दे रहा था! फिर काम को समझकर बहोत ही मेहनत और लगन से काम करने लगा. बहोत सा स्टाफ कानपुर में हि रहने वाले थे! आदित्य हि ऐसा था! जो दुसरे शहर से आया था! अपनी लगन से कुछ नया सीखने कि ललक उस में थी! ऐसे करते करते महिना खत्म हुआ। हाथ में सॅलरी आयी! तो उसने अपने खर्च के लिए कुछ पैसे रखकर बाकी पैसे की मनीआर्डर कर दि मां बाबूजी के लिए, अब घर परिवार के सदस्य भी खुश थे! हालात में सुधार आने लगा था! ््
आदित्य अपने काम के प्रती बहोत ही ईमानदार था! आफिस टाईम में पहुंचना अच्छी तरह से काम करना और वापस घर लौटना उसका नित्यक्रम था! उसे किताब पढ़ना बहोत अच्छा लगता था! आदित्य को अब पांच महीने कानपुर में हुये थे! विंकेड को सहकर्मी कुछ ना कुछ प्लॅन करते थे! पर किसी तरह के कारण बताकर उन्हें टाल देता था! उसे अपने जिम्मेदारी का एहसास था! फिजुल के पैसे खर्च करना उसे कतई गवारा नहीं था! तभी से सहकर्मी भी उसे टालने लगे थे! खाली काम से काम रखतें थे! उसी दौरान जहां आदित्य रहता था उसी बगल वाली बिल्डिंग में अनिता महाजन नाम कि लड़की रहती थी! वो M.BA की पढ़ाई कर रही थी! जहा रुम से वो पढ़ाई करती थी! उसके खिड़की में से आदित्य का रुम दिखाई देता था! वो हमेशा आदित्य को देखती रहती! हमेशा अपने काम से काम रखता था! बहोत ही शांत स्वभाव का यह लड़का उसे किताब पढ़ना बहोत अच्छा लगता था! आजकल के लड़के यहां वहां घुमते रहते सोशल मीडिया पर जादा से ज्यादा टाइम स्पेंड करते हैं! पर यह लड़का सबसे अलग है! अनिता ने दो तीन बार उससे मिलने की कोशिश की पर असफल रही! वो किसी से बात नहीं करता था! अपने काम से काम रखता था! अजनबी शहर था! जान पहचान वाले भी नजदीक नहीं थे!ये से में भरोसा करें तो किसपर करें! इसलिए सबसे दूरी बनाके रखता था! पहली बार घर से दूर जो रह रहा था!
उसे अब घर परिवार की याद सताने लगी थी! घर का खाना, मां बाबूजी बहन की याद सताने लगी थी! अपने दोस्तों को मिस कर रहा था! मेंस का खाना खाकर उसकी तबियत बिगड़ने लगी थी! एक दिन ऑफिस में काम करते उसे चक्कर आयी और जमीन पर गिर पड़ा! सहकर्मीयोने उसे अॅम्बुलंस से उसे सिव्हील अस्पताल में भर्ती करवाया! अनिता दो तीन दिन से देख रही थी! उस के घर पर ताला लगा हुआ है! तो अनिता बैचेन रहने लगी! हमेशा वक्त पर घर आने वाला लड़का दो तीन दिन से घर पर नहीं दिखाई दे रहा है! उसे समझ में नहीं आ रहा था! किसे बात करें तभी उसे अपनी दोस्त कोमल की याद आयी! उसने कोमल से फोन पर बात की, उसने उसको सारी बात बताई, तो कोमल ने कहा "तुम चिंता मत कर" मैं हुं ना! उसकी सारी बातें निकलवाती हूं! फिर कोमल ने अपने भाईयों को काम पर लगवाया दिया. तो कोमल के भाईयोंने जुगाड करके उसकी सारी इंनफरमेशन निकाली. उस का नाम आदित्य है! और वो सीव्हील अस्पताल में अॅडमीट
है! वाॅड नंबर २०३ में, जैसे ही कोमल ने ये बात अनिता को बताई . तो अनिता ने कहा हम अभी के अभी उसे देखने जाते हैं! इतना जल्दी क्या है कल देखने जाते है! तुम्हे अभी लेक्चर अटेंड नहीं करना है? लेक्चर को मार गोली तुम मेरे साथ आ रही हो कि नहीं. आती हूं बाबा , डाॣमा मत कर. रिक्षा पकड़कर वो सिव्हिल अस्पताल जाने के लिए निकले! रिक्षा से उतरकर अस्पताल के गेट पर पहुंच ही रहे थे तभी अनिता के फूफा मिले, अनिता तुम यहां! घर पर सबकुछ ठीक है ना! अनिता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था! क्या जवाब दे! तभी कोमल बोली अनिता तो मेरे साथ आयी है! मेरे दूर के चाचा इसी अस्पताल में अॅडमीट है! उन्होंने कुछ दवाइयां मंगवाई थी!तो पापा ने कहा" उन्हें यह दवाइयां देकर आना और उनसे मिल भी लेना! फूफा को बात बताई और आगे चलें गई, कोमल तुम आज मेरे साथ थी! इसलिए अच्छा हुआ नहीं तो आज मेरी खटीयाखडी होती, और वो दोनों आगे बढे, वाॅड नं२०३ में जाने को लिए आगे बढे तभी नर्स ने उनको रोका अब visiting hours नही है! आप दोनो अंदर नहीं जा सकती, अनिता ने नर्स से रिक्वेस्ट की मुझे आदित्य वर्मा से मिलना है! आदित्य का नाम सुनकर नर्स चौंक गयी आपको आदित्य वर्मा से मिलना है! जी हां! क्योंकि वही एक पेशन्ट था, जब से उसे अॅडमीट किया था! तभी से उसे मिलने क़ोई नहीं आया था! नर्स ने कहा, मैं किसी एक को अंदर जाने की परमीशन देती हूं! तभी अनिता ने कहा मुझे आदित्य से मिलना है! नर्स अनिता को उसके बेड तक लेके गई देख आदित्य तुमसे मिलने कोन आया है! सिस्टर क्यूं मजाक कर रही हो! यहां ऐसा कौन हे जो मुझे देखने यहां आयेगा, उसने आंखें बंद कर के कहा! अनिता की आंखें भर आयी! नर्स ने कहा "आंखें तो खोल, उसने आंखें खोली तो सामने अनिता खड़ी थी! उसे ने कहा आप को कैसे पता चला कि मैं अस्पताल में अॅडमीट हूं! आदित्य ने भी उस को देखा था पढ़ाई करते हुए! चेहरे से जानपहचान थी! पर एक दूसरे से कभी बात नहीं हो पायी थी! तभी अनिता ने कहा दो तीन से तुम्हारे घर पर ताला लगा हुआ था! पुछा तो मालूम पड़ा आप अस्पताल में अॅडमीट हो! तो देखने चली आती! अब तुम्हारी तबियत कैसी है! आदित्य ने कहा, मेंस का खाना खाकर ये हालत हुई है! कल से मैं तुम्हें अपने घर से खाना लेके आउंगी जब तक तुम ठीक नहीं होते! क्यु इतना मेरे लिए तकलीफ उठा रही हो! तुम इस शहर में नये हो! तुम ठीक होने के बाद जब भी कभी अपने शहर मैं जाओगे तो अपने शहर में जाकर कहोगे "कि कानपुर के लोग कितने बुरे हैं, जो किसी को मुसीबत के समय मदत भी नहीं करते, यह सब मेरे शहर के लिए कर रही हूं! ता कि तुम वहां जाकर हमारे शहर की बदनामी ना करो, और वो दोनों हंसने लगे! तभी नर्स आयी और कहा पेशन्ट के आराम करने का टाइम हो गया है, निकल ते वक्त अनिता ने कहा तुम अपना ख्याल रखना, इस शहर में तुम अकेले नहीं हो, और हां, कल में तुम्हारे लिए दोपहर और शाम का खाना लेकर आउंगी! और अनिता वहां से निकल पड़ी, उस दिन आदित्य के चेहरे पर अलग सी खुशी थी!
अनिता के पिता रेल्वे में काम करते थे! और उसकी मां बॅंक मैं काम करती थी! अनिता ने अपने मां से कहा "कल से मैं library मैं जाकर पढ़ूंगी मुझे कुछ नोट्स निकाल ने है"! कल से मुझे घर आते आते ७ बजेंगे! मां ने कहा ठीक है, अपने खाने पिने का ध्यान रखना! दुसरे दिन वो खुद किचन में गयी और अपने हाथों से खाना बनाया, टिफिन बॉक्स में खाना भर के आदित्य को देखने अस्पताल पहूंची आदित्य भी आंखें गड़ाए दरवाजे कि तरफ हि देख रहा तभी मुस्कुराते हुए वाॅड के अंदर दाखिल हुई, कैसे हो आदित्य, टिफिन बॉक्स खोल कर प्लेट में परोसा, खाने कि बहुत बढ़िया खुशबू आ रही थी! आदित्य को अपने हाथों से खाना खिलाया,और बोली आज मैंने अपने हाथों से खाना बनाया है! तुम्हे अच्छा लगा, खाना बहोत ही स्वादिष्ट बनाया है तुमने! धिरे धिरे आदित्य के तबियत में सुधार आने लगा! बहोत ही जल्द उसे डिस्चार्ज भी मिलने वाला है, नर्स ने आकर कहा! जो शहर कभी अजनबी सा लगता था! अब यही शहर अपनासा लगने लगा था! ्क्र्क्र्क्र्क्र्क्र्क्क्र्क्र्क्र्क्र्कढ ही ््ई््ई््ई््ई््ई््ई्््ई््ई््ई्््ई््ई््ई्््ई््ई््ई््ई््ई््ई्््ई््ई््ई्््ई््ई्