फरीश्ता
बंगलुरू में रहने वाले अग्निहोत्री दाम्पत्य अपनी पुश्तैनी मकान में रहते थे! दोनों ही बहुत ही अच्छे स्वभाव के थे! उनके दो बच्चे थे! बेटा अजय और बेटी आरती, अजय अमेरिका में रह रहा था! और आरती शादी होने के बाद कतार में रह रही थी! अपने पति अमर के साथ, अग्निहोत्री दाम्पत्य की अब उम्र हो चुकी थी! दोनों की उम्र लगभग सत्तर साल से भी ज़्यादा हो चुकी थी! सुरेश अग्निहोत्री बॅंक मैं काम करते थे! और उनकी पत्नी पुनम अग्निहोत्री स्कूल में पिन्सीपल थी! अब दोनों रिटायर्ड लाईफ जी रहे थे! एक दूसरे का सहारा बने थे! उन्हें पेंशन मिल रही थी, उन्हीं पर अपना गुजारा कर रहे थे! उन्होंने सोचा कि क्यु न हम, मकान कीराए पर दिया जाए, जिससे हमें कुछ पैसे भी मिलेंगे, और इस बढ़े से मकान में थोड़ी बहोत चहलपहल भी रहेगी, जब हमारे बच्चे थे! तब कितनी चहलपहल थी! अब यही मकान खाने को दौड़ता है! उन्होंने तुरंत अखबार में अॅड देदी! दुसरे दिन सुबह फोन कि घंटी बजी, मैं अंजलि दिक्षित बोल रही हूं आपने जो किराए के लिए मकान की अॅड अखबार में दी थी! उसी संदर्भ में आपसे बात करने के लिए फोन किया हूं! तो में मकान देखने के लिए कब आऊं! शाम का टाइम फिक्स हुआ! अंजलि ने दिए हुए टाइम पर पहुंच गयी.उसने मकान की डोर बेल बजाई तो पुनम अग्निहोत्री काठी टेकते टेकते दरवाजा खोला, में अंजलि,दिक्षित आओ बेटा अंदर आ जाओ, अंजलि ने अग्निहोत्री दाम्पत्य से पुछा, इस मकान में और कौन कौन रहता है! , हम दोनों ही है! बच्चे विदेश में हैं! मेरी बेटी का कमरा है, जो अब खाली पड़ा है! यहां आना बेटी, में तुम्हे कमरा दिखाती हूं! जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला कमरे में बहोत धुल जमि हुयी थी, जब से मेरी बेटी आरती की शादी हुई है तबसे आज तक इस रुम पर ताला लगा हुआ था?? पर बेटी चिंता मत करो, यह रुम की साफ सफाई कर के देंगे, अंजलि ने कहा, मुझे रुम पसंद है! आप किराए कितना लेंगे! दस हजार रूपए महीना, अंजलि ने कहा ठीक है पर मेरी कुछ शर्ते हैं; मैं आय.टी सेक्टर में काम करती, तो रोज काम से लेंट आती हूं! तो आपको मेरी वजह से तकलीफ हो सकती है! कोई बात नहीं बेटा मैं ने अलग से चाबी बनवायी है! जो मैं तुम्हें दे दुंगी, पर बेटी तुम्हने तो अपना परिचय दिया हि नहीं! मैं अंजलि दिक्षित, मैं मुम्बई से हुं! बचपन में ही मेरे मां बाप गुजर गए! मौसी ने मुझे पढ़ाया लिखाया, और कुछ महिने पहले उनका देहांत हो गया; अब इस दुनिया में अपना कहने वाला ऐसा कोई नहीं है!, मैं ने कंपनी से रिक्वेस्ट करके यहां बंगलुरू में ट्रांसफर करवाया है, बचपन से ही में सेल्फ डिपेंडेंबल रही हूं! अभी मैं ऑफिस की दोस्त है रेशमा उसके साथ रह रही हूं! महिनों से मकान तलाश कर रही थी! आज आप का अॅड अखबार मे देखा! तो आपको फोन किया, तो परसों ऐतवार है तो में अपना थोड़ा बहोत सामान लेकर इस घर में रहने के लिए आ जाउंगी! और उसने पांच हजार अॅडवांस के तौर पर दे दिया!अंजलि ऐतवार के दिन जब मकान में रहने के लिए आयी तो देखा रुम साफ सफाई कर के रखा था! कलर भी लगवाया हुआ था! अंजलि हर रोज काम से लेंट आती थी!जब तक काम से लौटती नहीं, तब तक अग्निहोत्री दाम्पत्य सोते नहीं थे! जागते रहते थे! अंजलि ने कहा, मैं कुछ दिनों से देख रही हूं! जब तक मैं काम से लौटती नहीं तब तक आप जागते रहते हो, ऐसा मत करो, मेरा जाॅब ही ऐसा है! आने का कोई टाइम नहीं है! और आॅफिस की गाड़ी मुझे छोड़ने के लिए घर तक आती है! पुनम जी ने कहा; अब बुढ़ापे में निंद कहा आती है, तो जागते रहते हैं! लेकिन अंजलि को पता था! वो मेरे लिए जागते रहते हैं! उन्हें जो मेरी चिंता सताती थी, अकेली लड़की इतने देर से घर लौटती है! ् ्् ऐतवार छुट्टी का दिन उस दिन अंजलि देर से उठीं, देखा कुछ लोगो की आवाज आ रही थी! उसने दरवाजा में से देखा, कुछ लोग अग्निहोत्री दाम्पत्य को धमखा रहे थे! उसने आगे जाके देखा, उसने कहा पूनम जी ए कौन लोग हैं! जो इस तरह से आपसे बात कर रहे हैं! ये बिल्डरों के लोग हैं! जो आयेदीन हमें धमकाने आते हैं! उन्हें यहां बड़ी इमारत खड़ी करनी है! बिल्डर जो भी पैसा दे रहा है! वो लेलो और ये जगह ख़ाली करदो, हम तो बुढ़े है! इनका मुकाबला नहीं कर सकते; और इस बुढ़ापे में हम जाएं तो जाएं कहां! अंजलि ने उन्ह लोगों से कहा, ये दोनों अकेले नहीं हैं! मैं उनकी बेटी हूं! ज्यादा परेशान किया तो पोलिस में कंप्लेंट कर दूंगी! और कान खोल के सुन लो, हमें ये जगह बेचनी नहीं है! यह बात अपने बिल्डर से भी कह देना!, उसके बाद बिल्डर ने उन्हें सताना बंद कर दिया! एक दिन अंजलि और पुनम जी गपशप लड़ा रहे थे! पूनम जी आप बुरा न मानें तो एक बात पूछूं; आपने कहा था आपके दो बच्चे हैं? पुनम जी ने कहा हां, अजय और आरती, अंजलि ने कहा, इतने दिनों से मैं यहां रह रहीं हुं! आप अपने बच्चों का जिक्र भी नहीं करती, ना ही उनका कोई फोन आता है! पुनम कि आंखें नम हो गई! क्या बताऊं मेरा बेटा अजय काम के सिलसिले में अमेरिका गया! पहले शुरुवात में हमें फोन करता था! जैसे जैसे दिन बीतते गए, उसके फोन आना धिरे धिरे कम हो गये, अब तो पांच साल हुए एक बार भी फोन नहीं किया! हमें पता चला वहां पर उसने शादी भी कि है, पहले पहले हमें बहुत तकलीफ़ हुई! हम दोनों आंखें गड़ाए रखते थे फोन पर, कभी फोन कि रिंग बजती थीं, तो दौड़ के जाते पर हमें निराशा हाथ लगती थी! उसे ये भी पता नहीं की, उसके मां बाप ज़िंदा है की नहीं! किस हाल में है! और बेटी आरती शादी के बाद कतार चलीं गईं, उसने भी हमें कभी नहीं फोन किया! उसने भी हमसे मुंह मोड़ लिया, शायद हमसे हि कोई भुल हुयी होगी, जो हम उन्हें संस्कार देने में कम पड़ गये होंगे,अब हम एक दूसरे का सहारा बने हुए हैं! पंच्छि अपने बच्चों को एक एक अनाज का दाना चुनकर लाती है और घोंसले मैं बैठे अपने बच्चों को खाना खिलाती है! पर जब बच्चों के पर निकल आते है तो वो
आकाश में उड़ना चाहतें हैं! फीर बढ़े होने के बाद अपना खुद का अलग सा घोंसला बना देते हैं! जिवन कि यही रित है! यह सब सुनने के बाद, अंजलि मन ही मन में कहने लगी,
कितने अभागी लोग होते हैं! जिन्हें अच्छे मां बाप मिले हैं! पर उन्हें उनकी कोई कद्र नहीं है!
एक दिन अंजलि ऑफिस जाने के लिए निकल ही रही थी! उसकी महत्वपूर्ण मिंटीग थी! जैसे ही घर से निकल रही थी! तो पूनम जी की जोर से चिल्लाने कि आवाज़ सुनाई दी! वो तुरंत वो हि दिशा में भाग उठीं,देखा तो सुरेश अग्निहोत्री जी बाथरूम में पैर फिसलकर गिर पड़े थे! उन्हें सर पर चोट लगी थी! पूनम जी को समझ में नहीं आ रहा था! क्या करें? अंजलि ने तुरंत अॅम्बुलंस मंगवायी,और उन्हें अच्छे से बड़े हाॅस्पीटल में अॅडमीट करवाया! जितनी भी फाॅरमॅलिटीज पुरी कर दी, कार्ड स्वाइप करके पैसा भरवाया , डाॅक्टर ने उन्हें तुरंत ct-scan करवाने के लिए भेज दिया, पुनम जी को एक जगह बिठाया! अंजलि ने कहा पुनम जी कोई घबराने की बात नहीं जल्दी ठि हो जाएंगे! यहां से वहां बस दौड़ ही रही थी! Ct-scan का रिपोर्ट आया, डाॅटर ने कहा, आपने उन्हें तुरंत हाॅस्पीटल में अॅडमीट करवाके बहोत अच्छा किया, सर से बहैत ख़ून बह रहा था! वरना हम भी कुछ नहीं कर पाते
अब हमने उनका इलाज करना शुरू कर दिया है! अब घबराने की कोई जरूरत नहीं है! Now he is out of danger.दस दिन उन्हें अॅडमीट रहना होगा! अंजलि ने दस दिन का पेमेंट कर दिया! दस दिन का बिल लगभग दो लाख से भी ज्यादा हुआ था! लेकिन बिना झिझक उसने पेमेंट कर दिया था! जो कोई अपना भी अपने लोगों के लिए नहीं करता, पुनम अग्निहोत्री ये सब देख रही थी! हमारे अपने बेटा और बेटी भी यहां होते तो भी इतना नहीं करते, जो इस लड़की ने हमारे लिए किया है! पुनम के आंख में आसू थें! तभी पुनम जी की नजर हाॅस्पिटल में गणेश मूर्ति पर पड़ी गणेश जी की मूर्ति के
आगे नतमस्तक हुई, और कहा, भगवान आपने हमारे जीवन में इस लड़की के रुप में फरिश्ता भेजा है! आप को कोटी कोटी प्रणाम! कुछ दिनों बाद सुरेश अग्निहोत्री को हाॅस्पीटल से डिस्चार्ज मिला, उन्हें घर लाया गया! अंजलि ऑफिस जाती तो भी दिन में दस बार फोन करके उनकी तबियत का हालचाल पूछतीं रहती! पूनम जी से कहकर रखा था! कोई भी परेशानी हो तो मुझे तुरंत फोन करना, पर उन्हें एक बात का बहोत दुःख था! अपने बच्चे हमारे साथ नहीं है! ये परेशानी उन्हें खाई जा रही थी! अंजलि नहीं होती तो हम जिंदा रह पाते, इस उम्र में बच्चों का साथ नहीं है! जबकि इस उम्र में ज्यादा जरूरत होती है! ये हादसा होने के बाद, उन्हें डर सताने लगा! उनके चेहरे पर हमेशा उदासी रहने लगी थी! अंजलि ये सब देख रही थी! उसने बातों बातों में उनके बेटे अजय की जानकारी ले ना शुरू किया! अजय अब अमेरिका में कहा रह रहा है!तो पता चला वो फ्लोरिडा में रह रहा है! अपने पत्नी के साथ, अजय का फोन उनके टेलीफोन डायरि में से मिला,
कुछ दिन बाद ऑफिस से जल्दी घर आयी! पूनम जी से कहा कुछ दिनों के लिए में बाहर जा रही हूं, आप अपना ख्याल रखना!मैं बहोत जल्द घर वापस लौट कर आऊंगी, उसने बॅग उठाया और चल पड़ी, वो अमेरिका जाने के लिए, अजय से मिलने के लिए, वो फ्लोरिडा पहुंची और वहां से अजय को फोन किया! मैं आपसे मिलना चाहती हूं! कुछ जरूरी बातें कहनी है! उसने अपने घर पर बुलाया! शाम सात बजे मिलने का तय हुआ!जब अंजलि ने डोर बेल बजाई तो पांच साल के बच्चे ने दरवाजा खोला! पापा आपसे कोई मिलने आया है! अजय दरवाजा के पास आया! अंजलि दिक्षित हू मैं! बंगलुरू , से आयी हूं! अजय चौक गया! आपको मेरा नंबर कैसे मिला? आपका पुश्तैनी मकान बंगलुरू में है! जहा आपके माता पिता रहते हैं! वहां मैं पेईगेस्ट हूं! अजय ने शर्म से गर्दन निचे झुकाई, कैसे हैं वो, उनकी तबियत ठीक नहीं रहती; आपके पिता टाॅयलेट में उनका पैर फिसलकर सिर पर बहोत चौंट आयी थी! दस दिन से भी ज्यादा हाॅस्पिटल में अॅडमीट थे! बहोत तुम्हे याद कर रहे हैं! ये छोटा बच्चा आपका है! अजय ने कहा हां, क्या नाम है! अमोल, बहोत प्यारा बच्चा है! बड़ा होने के बाद इसे मालूम पड़ेगा की इसके दादा दादी भारत में है! और उम्र के चलते उन्हें दूर रखा गया! तो ये बड़ा होकर आपसे वैसे ही बर्ताव करेगा जैसे आपने अपने मां बाप से बर्ताव किया है! अजेय की आंखें खुली की खुली रह गई! उसके आंखों में से आसू बह रहे थे! मुझसे बहोत बढ़ी गलती हुई है! अब मैं अपने परिवार के साथ भारत में ही रहूंगा अपने मां बाप के साथ, अच्छा हुआ आपने मेरी आंखें खोली, और बच्चे को दादा दादी का प्यार भी मिलेगा, पर मैं किस मुंह से उनके सामने जांऊ! मेरी तो हिम्मत ही नहीं हो रही है! जब वह अपने पोते को देखेंगे तो उनका गुस्सा शांत हो जाएगा! बच्चे कितना भी कैसा भी बर्ताव करें, मां बाप उन्हें शमा कर देते ही हैं!अजय की बीबी संजना के आंख में भी आंसू थे! तो अजय ने फोन पर सारी बातें आरती को बताई, उसके भी आंख में पानी आया! हम अपने पॅरंन्टको take it for granted लेते है! उन्ह दोनों को अपने गलती का एहसास हुआ! फिर दोनों ने भारत जाने का फैसला ले लिया! अजय और आरती जब भारत लौटे तो अग्निहोत्री दाम्पत्य को बहुत खुशी हुई! फिर से अग्निहोत्री फॅमिली में खुशी की दौड़ उठीं! अग्निहोत्री दाम्पत्य बहोत खुश थे! लेकिन अंजलि का पता ही नहीं था! वो उसी दिन अपना सामान लेकर किसी और जगह पर रहने गयी थी!.. अंजलि फरिश्ता बनकर अग्निहोत्री फॅमिली मैं खुशीया देकर चली गई! पूनम को ये सब पता था! ये सबकुछ रातों रात नहीं हुआ है!ये जो हमारे जीवन में खुशियां आयी है! ये सबकुछ अंजलि कि वजह से हुआ है! सचमुच फरिश्ता बनकर आई थी .