नयन


जे आहे तुझ्या हृदययी, तेच दिसे लोचनी
असे बोलके नयन तुझे, स्वप्न दिसे, स्वरतरंग उमलती मनी..
नयन मुद्रा जशी भिरकावून, घायाळ करी  मज
कसे आवरू मी स्वता, नयनांनी सोडला बाण..



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