रू-ब-रु देखू तुझे या ख़्वाब मे ही सोचा करू,
इबादत करू तेरी, या इनायत करू!! सुबह शाम यू ही सजदा करू या तूम्हे पलको मै बिढादू, तेरा जिक्र करते ही महक उठती है फींजाए, तेरा नाम लेते ही बहक जाती है हवाएं...फिर भी तेरे दीदार को तरसते है! जब भी तू बोलती है, फुल बरसने लगते है!
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