जिवन एक कतार

ज़िंदा थे तो जिवनभर कतार में खड़े रहे! कभी रेल्वे स्टेशन पर तिकीट निकाल ने के लिए, तो कभी बिजली का बिल भरने के लिए, तो कभी पासपोर्ट ऑफिस में..उम्र कट गयी जिवनभर कतार में खड़ा रह कर‌.
कैसा मंज़र आया है, करोना काल में.. मरने के बाद भी खुद को जला ने के लिए भी कतार लगानी पड़ रही है!

तुषार सीताराम बागडे
मोबाइल: ९८२०७१८०७९
Email: ttush555@gmail.com

आस्था में विवेक

हर कोई जिवन और मृत्यू की लढाई लढ़ रहा है करोना जैसी महामारी में..तो कहीं और क्षध्दालू  आस्था कि डूबकी लगा रहे हैं कुंभ के मेले में.. महामारी के चलते चिंताएं जल रही है स्मशानो में.. लेकिन हर किसी को पता होना चाहिए धर्म पालन तभी हो सकता है जब व्यक्ति जीवित वा स्वस्थ रहेगा..
ऐसा दूस्साहस करना आत्मघाती है!
आस्था में विवेक होना चाहिए, अंधापन नहीं!

तुषार सीताराम बागडे
मोबाइल: ९८२०७१८०७९
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फरीश्ता

                                फरीश्ता  बंगलुरू में रहने वाले अग्निहोत्री दाम्पत्य अपनी पुश्तैनी मकान में रहते थे! दोनों ही बहुत ही अच्छे स...