आस्था में विवेक

हर कोई जिवन और मृत्यू की लढाई लढ़ रहा है करोना जैसी महामारी में..तो कहीं और क्षध्दालू  आस्था कि डूबकी लगा रहे हैं कुंभ के मेले में.. महामारी के चलते चिंताएं जल रही है स्मशानो में.. लेकिन हर किसी को पता होना चाहिए धर्म पालन तभी हो सकता है जब व्यक्ति जीवित वा स्वस्थ रहेगा..
ऐसा दूस्साहस करना आत्मघाती है!
आस्था में विवेक होना चाहिए, अंधापन नहीं!

तुषार सीताराम बागडे
मोबाइल: ९८२०७१८०७९
Email: ttush555@gmail.com

No comments:

Post a Comment

फरीश्ता

                                फरीश्ता  बंगलुरू में रहने वाले अग्निहोत्री दाम्पत्य अपनी पुश्तैनी मकान में रहते थे! दोनों ही बहुत ही अच्छे स...